HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, President of Parmarth Niketan, celebrated International Mountain Day – an opportunity to promote gender equality and social justice in mountain livelihoods – by meeting with the Minister of Petroleum and Natural Gas, Government of India, Mr. Hardeep Singh Puri, to discuss conservation and sustainable development goals for the mountain region – an area that houses 15% of the world’s population and provides half of the world’s daily fresh, potable water. Pujya Swamiji was struck by Shri Puriji’s “wonderful personality,” as well as his intense willingness to listen to a plan for the systematic disposal of waste in the mountains, and for the seriousness, promptness and activeness he showed in devising and implementing a plan for it.
Pujya Swamiji shared that, “in every city we often see mountains of garbage and pits full of garbage which, when they decompose, produce methane gas that is not only highly flammable but also produces a continuous stream of smoke, which fouls the air and the environment. Homes, schools, restaurants, public places, markets, etc. all produce a large amount of solid waste – 80 percent of which is plastic. This contaminates the land, and filters down to our water resources, which adds to the devastation of global warming. And, our underground water resources are being contaminated due to water seepage from the surface. All of this is causing severe health challenges for the people living near and around the landfills. We must find a way to biologically treat waste so that its disposal is effective and eco-friendly.”
And, as Pujya Swamiji suggests, we must include women – our Divine Shakti – in any plan for our mountain communities. According to the United Nations, women play an important role in the environmental protection and social and economic development of the mountains. They often act as primary managers of mountain resources and are custodians of biodiversity; they hold the keys to the community’s traditional knowledge and are the custodians of local culture; and, they are the primary practitioners of traditional medicine practices. Often men have to migrate elsewhere in search of alternative livelihood, but rural women play an active role in the development of hill economies by becoming the driving force in their families and in their communities.
अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री भारत सरकार श्री हरदीप सिंह पुरी जी की हुई भेंट वार्ता
पहाड़ों पर जैवविविधता के संरक्षण, पर्वतीय संसाधनों के प्रबंधन और पारम्परिक ज्ञान और संस्कृति कों जीवंत रखने में पर्वतीय महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान
‘वेस्ट इज एनर्जी’ और कचरे के सुव्यवस्थित निस्तारण पर हुई चर्चा
आल इन वन, इंटीग्रेटेड टेक्नोलाॅजी पर विशेष वार्ता हुई जो कि सीएनजी गैस के निर्माण की टेक्नोलाॅजी
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री भारत सरकार श्री हरदीप सिंह पुरी जी की भेंटवार्ता हुई। स्वामी जी ने कहा कि श्री पुरी जी अद्भुत व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्होंने कचरे के सुव्यवस्थित निस्तारण की योजना को गंभीरता, तत्परता और सक्रियता से सुनकर उस के योजना बनाने की बात कही।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रत्येक शहर में अक्सर हमें कूड़े के पहाड़ तथा कूड़े से भरे गड्ढे दिखायी देते हैं। चूँकि कूड़े के अपघटन से मीथेन गैस का निर्माण होता है, जो कि अत्यंत ज्वलनशील होती है इसलिये तो इन ढेरों से लगातार धुआँ निकलते हुए दिखायी देता है। घर, स्कूल, रेस्तराँ, सार्वजनिक स्थान, बाजार आदि स्थानों से अत्यधिक मात्रा में ठोस कचरा उत्पादित होेता है, जो कि लैंडफिल में पहुँचता है, जो भूमि तथा जल संसाधनों को दूषित करता हैं तथा प्लास्टिक तो कुल लैंडफिल का 80 प्रतिशत भाग होता है। ठोस कचरे से लगभग 10 विषाक्त गैसें विमुक्त होती हैं, जिनमें मीथेन गैस सबसे अधिक गंभीर है। इसका परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप में होता है। साथ ही भूमिगत जल प्रदूषण, भूमिगत जल रिसाव के कारण दूषित हो रहा है तथा लैंडफिल के समीप रहने वाले लोगों में व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्याएँ भी देखने को मिली हैं इसलिये कचरे के प्रबंधन का जैविक उपचार खोजना होगा जो प्रभावी होने के साथ ही पर्यावरण हितैषी भी हो।
स्वामी जी ने महान समाज सुधारक तथा राष्ट्रभक्त, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक श्री बाला साहब देवरस जी की जयंती पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये आज की गंगा आरती उन्हें समर्पित की। उन्होंने अस्पृश्यता के उन्मूलन हेतु अद्भुत कार्य किये।
यूनाइटेड नेशन के अनुसार महिलाएं पहाड़ों के पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे अक्सर पर्वतीय संसाधनों की प्राथमिक प्रबंधक, जैव विविधता की संरक्षक, पारंपरिक ज्ञान, स्थानीय संस्कृति की संरक्षक और पारंपरिक चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में कार्य करती है। अक्सर पुरुषों को वैकल्पिक आजीविका की तलाश में कहीं और पलायन करना पड़ता है परन्तु ग्रामीण महिलाओं एक प्रेरक शक्ति बनकर पर्वतीय अर्थव्यवस्थाओं के विकास में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस, 2022 लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का एक अवसर है और इसलिए सामाजिक न्याय और पर्वतीय आजीविका पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पहाड़ दुनिया की 15 प्रतिशत आबादी का घर हैं तथा आधी मानवता को रोजमर्रा के लिए ताजा पानी उपलब्ध कराते हैं। सतत विकास के लिए पर्वतों का संरक्षण एक महत्वपूर्ण कारक है इसलिये हमें अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करना होगा ताकि प्राकृतिक खजाने को बचाया जा सके।