Pujya Swamiji and Pujya Sadhviji Grace Global Peace Leadership Conference Indo-Pacific (GPLC-2023)

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अंतर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने ’’वैश्विक शान्ति नेतृत्व सम्मेलन इन्डो-पैसिफिक’’ में सहभाग कर सम्बोधित किया।

भारत की समृद्ध और उत्कृष्ट आध्यात्मिक विरासत ने मानव सभ्यता को गहराई से प्रभावित किया है। भारतीय संस्कार, संस्कृति और शास्त्र हमारा दिव्य खजाना हैं, क्योंकि इसमें वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे दिव्य मंत्र समाहित है। भारत की अद्वितीय विरासत में सार्वभौमिक शान्ति के सिद्धान्त समाहित हैं उन दिव्य सूत्रों और सिद्धान्तों के आधार पर वैश्विक शान्ति और समृद्धि सम्भव है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सतत विकास और शांति के लिए युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति हैं इसलिये युवा सशक्तिकरण के साथ ही शांति निर्माण की मूल्य-आधारित रणनीतियों को तैयार करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में समावेशिता की आवश्यकता है। उन्होंने सभी को प्रेम, शांति और सद्भाव के साथ रहने हेतु प्रोत्साहित किया।

स्वामी जी ने कहा कि हमारे तो देश के जल और वायु में ही शान्ति की सुवास है। भारत हमेशा से ही शान्ति का उद्घोषक रहा है। हमारे ऋषियों ने वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः के दिव्य मंत्रों से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में शान्ति की स्थापना की प्रार्थना की, जब हम शान्ति की बात करते हंै तो शान्ति से तात्पर्य केवल युद्ध विराम से नहीं है बल्कि हमारे आन्तरिक द्वंद का शमन ही वास्तविक शान्ति का स्रोत है।

स्वामी जी ने कहा कि जब तक अन्तःकरण में शान्ति नहीं होगी तब तक न तो बाहर शान्ति स्थापित की जा सकती है और न ही अपने जीवन में भी शान्ति प्राप्त की जा सकती है, अर्थात आपको शान्ति खोजने की, शान्ति प्राप्त करने की या अन्यत्र कहीं शान्ति उत्पन्न करने की जरूरत नहीं हैं। शान्ति के लिये बढ़ाया एक कदम भी विलक्षण परिवर्तन कर सकता है। स्वामी जी ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छ वायु के बिना वैश्विक शान्ति की कल्पना नहीं की जा सकती ‘नो वाॅटर, नो पीस’ अगर हम सम्पूर्ण मानवता की रक्षा करना चाहते है तो शान्ति ही एक मात्र मार्ग है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने स्वार्थ से परमार्थ की ओर बढ़ने का संदेश देते हुये कहा कि स्वार्थ हमें तेजी से डुबोता है और आपस में खींची गयी रेखायें; दरारे हमें विभाजित करती हैं इसलिये आइए एक-दूसरे से कनेक्ट रहे, कनेक्ट करें और सहानुभूति दें, क्योंकि हमारे कार्य समाज में तरंगित होते हैं। हमें प्रेम की सार्वभौमिक प्रकृति का निर्माण कर इस सृष्टि को दिव्य बनाने में योगदान देना होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी का अभिनन्दन किया।

About GIWA

GIWA is the globe’s first organization to bring together the leaders of all faiths and people from across India and around the world to inspire a planet where everyone, everywhere can have access to sustainable and healthy water, sanitation and hygiene (WASH).

Recent Posts