Today on Menstrual Hygiene Day, Pujya Swamiji highlighted the importance of discussing menstrual health, noting that it impacts the health and education of women and the nation. He stressed the need for awareness, proper sanitary products, and eco-friendly solutions. Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswati ji added that breaking the silence, maintaining hygiene, and proper disposal of sanitary pads are crucial, recognizing menstruation as a natural process essential to life.
A beautiful day to raise awareness about menstrual hygiene; menstruation and its importance to health; challenges in it such as the availability of toilets, water, soap, feminine hygiene products, difficulties in attending school and how that affects education goals; superstitions about periods; etc. Still many feel shy talking about periods and periods are still considered a taboo in many developing countries!
GIWA and DSF, under the leadership of Pujya Swamiji and Pujya Sadhviji, have worked immensely to advocate about menstruation through several interfaith campaigns, events and programs which have reached thousands of people. We are so proud to share GIWA and DSF have been working in building toilets; teaching rural women to build toilets for themselves, thus creating a safe place for menstrual hygiene management; conducting several MHM sessions in the Life Skills Education Programme; increasing awareness in rural localities, slums and underprivileged areas and mass gatherings like Kumbh Mela; building WASH facilities in schools; and distributing soaps and feminine hygiene products.
We celebrate the #reddotchallenge putting dots on our hands to show our solidarity with menstruating women and girls everywhere and to show the commitment of our Global Interfaith WASH Alliance and Divine Shakti Foundation to uplift and empower them and help ensure they have access to menstrual hygiene.
To break the taboos surrounding it and raise awareness of the importance of Menstrual Hygiene, good Sanitation Facilities, access to feminine hygiene products Menstrual Hygiene Day is celebrated every year on this day. Let’s unite together and highlight the importance of Menstruation, its importance in the Health aspect, facilities, how it affects a girl mentally via media and dialogue exchange.
आज माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मासिक कथा में मासिक धर्म पर चर्चा करते हुये कहा कि मासिक धर्म केवल महिलाओं का ही विषय नहीं है बल्कि पूरे परिवार और राष्ट्र का स्वास्थ्य भी कहीं न कहीं इससे जुड़ा हुआ है। नारी शक्ति अपने जीवन के तीन हजार से अधिक दिन अर्थात् सात से आठ वर्ष माहवारी पीरियड् में गुजारती है इसलिये इन दिनों का ठीक से प्रबंधन जरूरी है।
चूंकि यह स्वास्थ्य का मामला है इसलिये मासिक धर्म पर खुले तौर पर चर्चा करना जरूरी है। भारत में 23 प्रतिशत लड़कियां मासिक धर्म शुरू होने पर स्कूल नहीं जा पाती तथा महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मासिक धर्म के प्रबंधन के लिए असुरक्षित और अस्वच्छ विकल्पों को अपनाता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ता है।
‘‘देवी स्वस्थ तो देश स्वस्थ’’ इसलिये इस विषय पर चुप्पी तोड़ना जरूरी है क्योंकि यह हमारी बेटियों के जीवन का फुलस्टाप बनता जा रहा है। भारत में 23 से 24 प्रतिशत लड़कियां किशेरावस्था में पहुंचते ही स्कूल छोड़ देती हैं और 77 प्रतिशत लड़कियां मासिक धर्म के दौरान उन 5 से 7 दिनों तक स्कूल नही जाती जिससे उनकी शिक्षा तो प्रभावित होती ही है साथ ही उन्हें कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
स्वामी जी ने कहा कि दुनिया की लगभग आधी आबादी अपने जीवन के लगभग 7 वर्षों का समय माहवारी के दिनों में गुजारती है। वास्तव में यह बहुत बड़ा समय है इसलिये इन सात वर्षो को स्वच्छ, स्वस्थ और प्रसन्नता से गुजार सके इसकी व्यवस्था करना पूरे परिवार का कर्तव्य है। मासिक धर्म महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ आर्थिक समृद्धि और शिक्षा से भी जुड़ा हुआ विषय है इसलिये इसका सही ज्ञान और सेनेटरी नैपकीन की उपलब्धता बहुत जरूरी है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपने वर्क प्लेस में भी अनेक समस्याओं का सामन करना पड़ता है।
पर्यावरण के विषय पर चर्चा करते हुये स्वामी जी ने कहा कि प्रतिवर्ष दो हजार दो सौ करोड़ उपयोग किये हुये सेनेटरी पैड़ कचरे में डाले जाते है जिसके कारण हमारे जल स्रोत, मिट्टी और पर्यावरण प्रदूषित होता है इसलिये ईकोफ्रेंडली सेनेटरी पैड का उपयोग किया जाना चाहिये।
मासिक धर्म के असुरक्षित प्रबंधन से महिलाओं की केवल फिज़िकल हैल्थ ही नहीं बल्कि मेन्टल और इमोश्नल हैल्थ भी प्रभावित होती है इसलिये सभी जागरूकता के साथ मिलकर कार्य करें तो पावरफुल परिवर्तन हो सकता। आईये आज इस मंच से सकंल्प लें कि हम सभी मिलकर मासिक धर्म के लिये फोर ए प्रोग्राम एक्सेप्टेबिलिटी, अवेलेबिलिटी, अफॉर्डेबिलिटी, एक्सेसिबिलिटी पर कार्य करेंगे।
स्वामी जी ने कहा कि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के तीन प्रमुख पिलर है, चुप्पी तोडो, स्वच्छता और उपयोग किये जाने वाले सेनेटरी पैड का सही निपटान, तभी स्वयं के स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण को स्वस्थ रखा जा सकता है। हमें यह बात सदैव याद रखना चाहिये कि माहवारी एक प्राकृतिक व सामान्य प्रक्रिया है और हम सभी का जन्म उसी प्रक्रिया से हुआ है।