Kanwadis from all across the country are coming to Rishikesh on their way to Neelkanth Temple – and they’re being given the message of the importance of becoming single-use plastic-free in the process through a unique and informative puppet show. They’re also being encouraged to take a pledge to end the use of single-use plastic, to not leave waste in Ganga or on the trails, and to do their part to make India clean, green and serene!
HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji shared in His message to the Yatris that the “Kanwad Yatra is not just a journey, it’s the journey of life. It is neither for show nor for noise, it is a symbol of peace and shivatva, so it should be done with devotion, not with hemp, and with Om Namah Shivay on our lips. Until now we have anointed Lord Shiva’s throat, but now it is time to anoint our own homes and communities because the energy of Kanwad Yatra can energize the whole country.”
परमार्थ निकेतन आश्रम द्वारा कांवड मेला में पपेट शो के माध्यम से दिया जा रहा है स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त भारत का संदेश
पपेट शो के माध्यम से कांवडियों को करवाया जा रहा है स्वच्छता का संकल्प
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्लास्टिक कचरा मुक्त कांवड यात्रा का दिया संदेश
कांवड़ यात्रा भक्तिभाव से हो भांग भाव से नहीं
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 17 जुलाई। परमार्थ निकेतन द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले कांवडियों को पपेट शो के माध्यम से सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री कांवड यात्रा का संदेश दिया जा रहा है।
परमार्थ निकेेतन शिविर बाघखाल, राजाजी नेशनल पार्क में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार पपेट शो के माध्यम से स्वच्छता, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने, जलस्रोतों और नदियों को स्वच्छ रखने तथा पौधारोपण का संदेश प्रसारित कर रहे हैं। कांवडिया पपेट शो का आनन्द लेने के साथ स्वच्छता का संदेश लेकर अपने गंतव्य को जा रहे हैं। साथ ही कांवडियों से स्वच्छता संकल्प करवाये जा रहे हैं ताकि भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त किया जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि कांवड यात्रा केवल एक यात्रा नहीं बल्कि जीवन यात्रा है। कांवड यात्रा न तो शो के लिये है और न शोर के लिये है बल्कि यह तो शान्ति और शिवत्व का प्रतीक है अतः ऊँ नमः शिवाय जाप के साथ इसे किया जाना चाहिये। कांवड़ यात्रा भक्तिभाव से की जानी चाहिये भांग भाव से नहीं।
अब कांवडियों को बोल बम बोल बम कचरा कर दो जड़ से खत्म यह संकल्प करने की जरूरत है क्यांेकि कांवड यात्रा कचरा यात्रा नहीं है इसलिये पुरानी कांवड़, पुराने कपड़े और प्लास्टिक को गंगा जी में डालकर अपनी यात्रा का आरम्भ न करे। कांवड यात्रा में बहुत ऊर्जा है, शक्ति है यहां से स्वच्छ और सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने का संकल्प लेकर जाये। अभी तक हमने भगवान शिव के गले का अभिषेक किया अब अपनी-अपनी गलियों का अभिषेक करने का समय आ गया है क्योकि कांवड़ यात्रा की ऊर्जा पूरे देश को ऊर्जावान बना सकती है। आईये इस भाव से कांवड़ यात्रा करें और अपने पुराने कपड़ों से झोले बनाकर उनका उपयोग करें, यात्रा के दौरान प्लास्टिक बैग का उपयोग न करें।