Inauguration of Ganga Aarti and Awareness Workshop

Our esteemed Ganga Aarti and Awareness Workshop started this morning at our GIWA HQ’s Parmarth Niketan, Rishikesh. The workshop was beautifully inaugurated with the blessings of our Co-Founder Param Pujya Swamiji, who has dedicated his life to Ganga.

Advisor of Namami Gange Shri Jagmohan Gupta participated in the inauguration and motivated all the participants. He encouraged everyone to work for Ganga and explained the amazing change they create silently for society by passing down traditional and cultural values to the next generation, and the effects of the awareness they bring which improves the environment every day.

All the participants enthusiastically attended the ceremony, and the first day of the training started with divinity!


परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय गंगा के प्रति जागरूकता और आरती कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, नमामि गंगे के सलाहकार श्री जगमोहन गुप्ता जी, सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी, नमामि गंगे के अधिकारियों, प्रतिभागियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की नदियों को उनका स्वाभाविक अविरल और निर्मल प्रवाह सुलभ हो यह नितांत आवश्यक है और इस पर चिंतन, मंथन और त्वरित एक्शन की जरूरत है क्योंकि नदियां धरती की रूधिर वाहिकायें हैं। धरती के सौन्दर्य की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती इसलिये जन जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि जल की हर बंूद में जीवन है इसलिये उसका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। हमारी ’अर्पण, तर्पण और समर्पण’ की संस्कृति है। पानी बचेगा तो प्राणी बचेंगे, जल बचेगा तो जीवन बचेगा, जीविका बचेगी, जिन्दगी बचेगी, जल जागरण को जन जागरण बनाना होगा, जल चेतना, जन चेतना बने, जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने, ‘जल है, तो कल है’। जल है तो जीवन है। जल हमारे जीवन का आधार, आस्था और विकास की प्रमुख धारा है इसलिये आईये मिलकर नदियों के लिये कार्य करें।

स्वामी जी ने कहा कि गंदगी और बंदगी दोनों साथ-साथ नहीं रह सकते इसलिये नदियों के पैरोकार बनें पहरेदार बनें, नो हिमालय, नो गंगा, हिमालय है तो गंगा है, हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त इसलिये नदियों व पर्यावरण के प्रति जागरूकता जरूरी है।

नदियों की दिव्यता और भव्यता को बनाये रखने के लिये सभी को टाइम, टैलंेट, टेक्नोलाॅजी एवं टेनासिटी के साथ आगे आना होगा। ग्रैण्ड प्लान के साथ अपना ग्राउंड प्लान’ जरूरी है। ग्रैण्ड प्लान सरकार का है और ग्राउंड प्लान हम सब की मदद से ही हो सकता है।

नदियों को जीवंत और जागृत बनाये रखने के लिये हमारी ग्रीन क्रिएटिविटी और ग्रीन रिस्पान्सबिलिटी बहुत जरूरी है। माँ गंगा सहित अन्य नदियों के बिना हम अधूरे हंै। हम सभी को नदियों की आवश्यकता है, इसलिये सभी को नदियों के संरक्षण के लिये भी आगे बढ़ना होगा।

इस अवसर पर सलाहकार नमामि गंगे श्री जगमोहन गुप्ता जी ने कहा कि हम सब अत्यंत सौभाग्यशाली है कि हमें श्रावण माह में, माँ गंगा के पावन तट पर स्थित परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में यह कार्यशाला करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि वे 9 वर्षों से वर्ष 2015 से नमामि गंगे मिशन से जुड़ा हुआ हूँ। तब से मुझे नमामि गंगे व कृषि सिंचाई योजना पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं 1997 से परमार्थ निकेतन से भी जुड़ा हूँ।

उन्होंने कहा कि गंगा जी सब को साथ लेकर चलती है वैसे ही हम सभी को साथ लेकर चलना है। उन्होंने कहा कि गंगा केवल पांच राज्यों से ही होकर नहीं गुजरती बल्कि गंगा बेसिन के माध्यम से 11 राज्यों, पंच प्रयाग व गंगा बेसिन आदि रूपों में न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया इससे जुड़ी हुई है।

उन्होंने कहा कि गंगा अब जन-जन की गंगा बने, गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करने के लिये हम सभी की आहुतियाँ जरूरी है। हम गंगा से आस्था से जुड़ें और नदियों को बचाने का संकल्प लें क्योंकि नदियों को बचाना हम सभी का दायित्व है। आप सभी आरती से आस्था की ओर बढ़े। अर्थ गंगा आजीविका का माध्यम है तथा नमामि गंगे, जलज, अर्थ गंगा, गंगा प्रहरी आदि अनेक माध्यमों से कार्य कर रहा है। अभी तक हमने 45 स्थानों पर जलज स्थापित किये है अभी 30 स्थानों पर इसकी स्थापना की जायेगी। गंगा जी को प्रदूषण मुक्त करना सहभागिता के बिना सम्भव नहीं हो सकता इसलिये आईये जन-जन को गंगा आरती से जोड़े।

संचार विशेषज्ञ पूरन कापड़ी जी ने प्रशिक्षण शिविर में अपने पूर्व में आयोजित दो कार्याशालाओं पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए बताया कि जो प्रतिभागी परमार्थ निकेतन से प्रशिक्षण प्राप्त करके गए है उन्होंने अपने-अपने घाटों पर गंगा आरती आरम्भ करने के साथ-साथ वहां पौधारोपण, स्वच्छता अभियान, भंजन संध्या आदि गतिविधियों का संचालन किया है, जिसके उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुये। इस अवसर पर उन्होंने पांच एम – माँ, मन्दिर, मिलेट्स, मधु, मिट्टी के माध्यम से अर्थ गंगा का उल्लेख किया।

इस अवसर पर भारत के अनेक राज्यों के 19 घाटों से प्रतिभागी, संचार विशेषज्ञ, नमामि गंगे उत्तराखंड, पूरण कापड़ी, दुर्गाप्रसाद, टीम सहायक नमामि गंगे, परमार्थ निकेतन से आभा सरस्वती जी, गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, वंदना शर्मा, आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीपक शर्मा, कृष्ण कुमार, राकेश, रामचन्द्र शाह, ज्योति, रेशमी, रोहन, ऋषिकुमार राम, आयुष, अजय, जोनाथन, संदीप शर्मा, किशोर भट्ट, निलय आदि सेवा टीम और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने उत्कृष्ट योगदान प्रदान किया।

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